विश्व के जलवायु प्रदेश
जलवायु प्रदेश
– विशेषताएँ एवं वितरण
सम्पूर्ण विश्व को भौगोलिक दृष्टिकोण से सामान्यतया ग्यारह या बारह जलवायु प्रदेशों (Climatic Regions) में बाँटा जाता है।
जो निम्नांकित हैं ।
1. भूमध्यरेखीय या विषुवतरेखीय जलवायु प्रदेश
* विषुवतीय या भूमध्यरेखीय प्रदेश में बारहों महीने तापमान ऊंचा रहता है। • इस प्रदेश में शरद या ग्रीष्म नाम की ऋतु नहीं होती है। इस प्रदेश में पूरे वर्ष का औसत तापमान 27 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। इस प्रदेश में रात और दिन के तापमान में 11 डिग्री सेंटीग्रेड से कम का अन्तर रहता है। • इस प्रदेश में वर्ष भर वर्षा होती रहती है और कोई भी महीना शुष्क नहीं रहता है।
• इस प्रदेश में मार्च और नवम्बर में सबसे अधिक वर्षा होती है।
इस प्रदेश में वर्ष भर की वर्षा का योग लगभग 200 सेंटीमीटर होता है। • इस प्रदेश में खूब घने जंगल उगते हैं।
• इस प्रदेश के वनों में चौड़ी पत्ती और घनी होती है।
• इस प्रदेश के घने जंगलों में सूर्य की किरणे पृथ्वी तक नहीं पहुँच पातीं और सदैव अंधकार छाया रहता है।
• विषुवतीय प्रदेश के वनों के पेड़ लगभग 60 मीटर ऊंचे होते हैं।इस प्रदेश के जंगल सदाबहार या सेल्वा कहलाते है। यह प्रदेश विषुवत रेखा के दोनों ओर 5° अक्षांश रेखाओं के मध्य अवस्तिथ है। • इस प्रदेश के निवासी काले रंग के होते है।
◆ कांगो के घने जंगल विश्व प्रसिद्ध बौने (Pigmies) के निवास स्थान है।. विषुवतीय प्रदेश के निवासी अपना आवास पेड़ों पर बनाते हैं।
विषुवतीय प्रदेश संसार में सुस्ती के लिए मशहूर हैं।
इस प्रदेश के लोगों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और वे बीमार बहुत अधिक होते हैं। इस प्रदेश में बाँस, लम्बी घास और कंटीली झाड़ियां अतिशीघ्रता से उगती हैं।
• संसार के समग्र रबर-उत्पादन का लगभग 90% विषुवतीय प्रदेश से प्राप्त होता है ।
विषुवतीय प्रदेशों में चाय, कहवा, मिर्च, सुपारी, साबूदाना, कुनैन और केला आदि भी बहुतायत रूप से पैदा किये जाते हैं। यह प्रदेशअभी तक पूर्ण विकसित नहीं है ।
• इस प्रदेश में यातायात का एक मात्र साधन नदियां हैं।
• अफ्रीका की नदियां जल प्रपात से भरी है। घने जंगलों होने के कारण विषुवतीय प्रदेश में सड़क और रेलों का निर्माण बहुत ही कठिन है।
2. सूडानी या सवाना जलवायु
सूडानी या सवाना प्रदेश के जलवायु की विशेषता है कि यहाँ का वार्षिक तापमान हमेशा ऊँचा रहता है।
ग्रीष्मकाल में सूडानी प्रदेश का तापमान 46°डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। इस प्रदेश का विषुवतीय किनारों की ओर जाड़े का औसत ताप 25.5 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। इस प्रदेश में वर्षा सूर्य का अनुसरण करती है। सूर्य के लम्बे रूप में आने पर, सूडानी प्रदेश में घनघोर वर्षा होती है। इस प्रदेश की वर्षा का योग 50 सेमी से 100 सेमी रहता है। इस प्रदेश की मुख्य वनस्पति लम्बी और सूखी घास है, जो सवाना के नाम से प्रसिद्ध है। इस प्रदेश की घास की लम्बाई 1.5 मीटर से 3.0 मीटर तक होती है। सूडानी प्रदेश विषुवत् रेखा के दोनों ओर 35 डिग्री अक्षांश तक (10 डिग्री से 35 डिग्री अक्षांश के बीच) मिलते हैं। इस प्रदेश का विस्तृत क्षेत्र अफ्रीका के सूडान में मिलता है। • इस प्रदेश के मनुष्य मुख्यत: शिकारी हैं। सूडान से संसार का 70% गोंद प्राप्त होता है।
3. मानसूनी जलवायु क्षेत्र
मानसूनी प्रदेश में वर्षा अधिकांशत: जून से सितम्बर महीनों के बीच होती है। मानसूनी प्रदेश में जाड़े की ऋतु वर्षा रहित होती है ।
इस प्रदेश को ‘ग्रीष्म-वर्षा जलवायु का प्रदेश’ भी कहते हैं।
इस जलवायु में वर्ष के एक भाग में स्थल का प्रभाव और देसरे भाग में समुद्र का प्रभाव प्रमुख रहता है।
. इस प्रदेश में जाड़े में वाणिज्य पवन (trade-winds) चलते हैं जो स्थल की ओर से आते हैं ।
इस प्रदेश में गर्मी में पवन समुद्र की ओर से चलने लगते हैं।
मानसूनी प्रदेश के पौधे ग्रीष्म ऋतु आने के पहले ही अपने पत्ते गिरा देते हैं । मानसूनी प्रदेश में अत्यल्प वर्षा वाले क्षेत्रों में कांटेदार झाड़ियां उग आती हैं।
100 सेमी से अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में उत्तम वृक्षों के जंगल मिलते हैं।
* इस प्रदेश में सागवान और सखुआ (Sal) के मूल्यवान वृक्ष उल्लेखनीय हैं। मानसूनी जंगल विषुवतीय जंगलों की तरह बहुत घने नहीं होते हैं । यह प्रदेश उण्ण कटिबंध में 8 डिग्री ओर 28 डिग्री अक्षांश रेखाओं के बीच स्थित हैं ।
प्रमुख मानसूनी प्रदेश- भारत, पारकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांनमार, थाईलैण्ड, हिन्दचीन,।दक्षिणी चीन और फिलीपीन्स एवं आस्ट्रेलिया “का उत्तरी किनारा है। इस प्रदेश में सबसे पिछड़ा हुआ आस्ट्रेलिया (उत्तरी) है।।इस प्रदेश में सबसे विकसित एवं सभ्य भारत।और बांग्लादेश है।
मानसून या भारतीय प्रदेश की जलवायु की विशेषता है कि यहाँ गर्मी, जाड़ा, वर्षा की अलग-अलग ऋतुएँ होती हैं।
इस प्रदेश में गर्मी में 40 डिग्री तक का तापमान प्रदेश में पहुँच जाता है। वर्ष भर वर्षा का योग 40 सेमी से 200 सेमी तक होता है।
मेघालय के चेरापूंजी नामक स्थान में तो लगभग 1250 सेमी वर्षा होती है।
4. सहारा तुल्य जलवायु क्षेत्र
उष्ण मरुस्थल या सहारा प्रदेश की जलवायु उष्णता और शुष्कता के लिए प्रसिद्ध है। संसार में सबसे अधिक तापमान सहारा प्रदेश में मिलता है।सहारा मरुभूमि के अजीजिया नामक स्थान में 58 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान पाया जाता है। कैलिफोर्निया की मृत घाटी (Death Valley) में 57 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पाया गया है।
पाकिस्तान स्थित जैकोबाबाद में 52 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान मिलता है। इस प्रदेश में वर्षा प्राय: नहीं होती है।
इस प्रदेश में बड़े-बड़े तूफान आते हैं। यह प्रदेश उच्च वायुदाब की स्थायी पट्टियों में स्थित हैं । मरुस्थलों में औसत वर्षा 10 से 12 सेमी होती है। प्रचण्ड गर्मी तथा कम वर्षा के कारण, सहारा प्रदेश में प्राकृतिक वनस्पति का पूर्णतः अभाव है। कहीं-कहीं पर सहारा प्रदेश में ताड़ और खजूर के पेड़ मिलते हैं। . सहारा प्रदेश महादेशों के पश्चिमी ओर 15 डिग्री और 30 डिग्री अक्षांशों के बीच स्थित हैं। इस प्रदेश में बहुत कम लोग रहते हैं। मरु- उद्यानों में खजूर, मकई, ज्वार, बाजरा, कपास तम्बाकू इत्यादि पेदा किये जाते हैं। इस प्रदेश के लोग अपना घर ठण्डा रखने के लिए इसे मोटे पत्थरों का बनाते हैं।
सहारा प्रदेशों में यातायात के लिए मुख्य सवारी ऊंट है । इस प्रदेश में ऊंट को ‘मरुस्थल का जहाज'” कहते हैं।
मरुस्थल सभ्यता और मानव-क्रियाकलाप के लिए बाधक हैं।
5.भूमध्य- सागरीय-जलवायु क्षेत्र
भूमध्य सागरीय प्रदेश में न अधिक गर्मी पड़ती है और न ही अधिक सर्दी । इस प्रदेश में गर्मी में औसत तापमान 2.1 डिग्री सेंटीग्रेड और 27 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है। . जाड़े में भूमध्य सागरीय प्रदेश में तापमान 4 डिग्री से 10 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच में रहता है । भूमध्य सागरीय प्रदेश में वर्षा अधिक नहीं होती है। इस प्रदेश में वर्षा का योग 25 सेमी से 100 सेमी तक रहता है। इन प्रदेशों में वर्षा जाडे में होती है। इन प्रदेशों में गर्मी के दिन सूखे होते हैं ।
भूमध्य सागरीय प्रदेश में वर्षा पर्वतीय और चक्रवातीय दोनों प्रकार की होती है। इस प्रदेश के वनस्पतियों में झाड़ियां और छोटे-छोटे पेड़ होते है।
यह प्रदेश खडट्टे व रसदार फलों (अंगूर, नींबू,।नारंगी, शहतूत, नाशपाती, अनार इत्यादि) के लिए प्रसिद्ध हैं। इस प्रदेश का सबसे विस्तृत क्षेत्र भूमध्य सागर।के आसपास मिलता है । यह प्रदेश पश्चिमी तट पर 30 डिग्री अक्षांश से लेकर 45 डिग्री अक्षांश के बीच स्थित है । कैलिफोर्निया, मध्य चिली, आस्ट्रेलिया का दक्षिण भाग आदि भूमध्य सागरीय प्रदेश के।अन्तर्गत आते हैं।।भूमध्य सागरीय प्रदेश के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती करना और पशु चराना है ।
फल निर्यात के लिये कैलीफोर्निया विशेष रूप से प्रसिद्ध है ।भूमध्य सागरीय प्रदेश में मुख्यत: पठारों पर होता है। इस प्रदेश की भेड़ें उत्तम ऊन के लिए विश्व में प्रसिद्ध हैं। भूमध्यसागरीय प्रदेश में पशु चराने का काम मुख्यतः पठारों पर होता है। इस प्रदेश के टर्की के पशमीना से (बकरों के बाल के) कीमती कालीन तैयार किये जाते हैं।
भूमध्य सागरीय प्रदेश में पुरानी सभ्यतायें पनपी थीं
* भूमध्य सागरीय प्रदेश की आनन्ददायिनी जलवायु ही सभी उन्नति की जड़ है।
6. शीतोष्ण जलवायु प्रदेश
* शीतोष्ण मानसून या चीन तुल्य प्रदेश महादेशों के पूर्वीभाग में स्थित हैं, जिनमें भूमध्य सागरीय प्रदेश तथा शीतोच्षी मरुस्थल स्थित है। * शीतोष्ण मानसूना प्रदेश में गर्मी में खूव गर्मी पड़ती है। * गर्मी का औसत तापमान 32 डिप्री सेटीप्रेड रहता है। शीतोष्ण मानसूनी प्रदेश में कुछ ऐसे स्थान हैं, जहाँ हर महीने वर्षा होती है। * इस प्रदेश में बार्षिक वर्षा का योग 75 सेमी से 150 सेमी तक होता है। इस प्रदेश में अधिकतर सदाबहार पेड़ उगते उत्तरी तथा मध्य चीन एशिया के वृहत् मानसूनी प्रदेश का एक भाग है।।भूमध्य सागरीय प्रदेश में पुरानी सभ्यतायें पनपी थीं।
* भूमध्य सागरीय प्रदेश की आनन्ददायिनी जलवायु ही सभी उन्नति की जड़ है।
6. शीतोष्ण जलवायु प्रदेश
* शीतोष्ण मानसून या चीन तुल्य प्रदेश महादेशों के पूर्वीभाग में स्थित हैं, जिनमें भूमध्य सागरीय प्रदेश तथा शीतोच्षी मरुस्थल।स्थित है। शीतोष्ण मानसूना प्रदेश में गर्मी में खूव गर्मी पड़ती है। गर्मी का औसत तापमान 32 डिप्री सेटीप्रेड रहता है। शीतोष्ण मानसूनी प्रदेश में कुछ ऐसे स्थान हैं, जहाँ हर महीने वर्षा होती है।
* इस प्रदेश में बार्षिक वर्षा का योग 75 सेमी से 150 सेमी तक होता है। इस प्रदेश में अधिकतर सदाबहार पेड़ उगते उत्तरी तथा मध्य चीन एशिया के वृहत् मानसूनी प्रदेश का एक भाग है।
चीन में विश्व का सबसे अधिक धान पैदा होता है। उत्तरी अमेरिका के चीनी प्रदेश कपास की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं। अफ्रीका और आस्ट्रेलिया कोयले के नियत के लिए प्रसिद्ध हैं ।।संसार की सर्वाधिक जनसंख्या चीन में है ।
7. पश्चिम यूरोपीय.जलवायु प्रदेश
पश्चिम यूरोपीय मदेश की जलवायु ऐसी है।।जिसपर समुद्र का प्रभाव बराबर बना रहता है। पर्श्चिम यूरोपीय प्रदेश में जाड़े का औसत ताप 4 डिग्री सेंटीग्रेड तक रहता है।. गर्मी में, पश्चिमी यूरोपीय प्रदेश का ताप 16 डिग्री सेंटीग्रेड बना रहता है। इस प्रदेश में.वर्षा हर महीने होती रहती है। पश्चिम यूरोपीय प्रदेश या शीत-समुद्री जलवायु प्रदेश में वर्षा पश्चिम से पूर्व की ओर घटती है ।।ब्रिटेन में 200 सेमी या इससे अधिक वेर्षा होती है। कोलम्बिया में 250 सेमी तक वर्षा होती है।
पश्चिम यूरोपीय प्रदेश की प्राकृतिक वनस्पति शीतोष्णं पतझड़ वन है।
इस प्रदेश में पतझड़ और कोणधारी वन मिलते हैं।
इस प्रदेश का सबसे बड़ा विस्तार क्षेत्र पश्चिम यूरोप ही है । * पश्चिम यूरोपीय प्रदेश, कृषि, वाणिज्य तथा उद्योग धन्धे आदि में बहुत आधिक विकसित हैं । एशिया और अफ्रीका में, पश्चिम यूरोपीय प्रदेश।नहीं पाये जाते हैं। * इस प्रदेश की जलवायु शारीरिक एवं मानसिक।दोनों प्रकार के कार्यों के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। इस प्रदेश की जलवायु को ‘परिश्रम का क्षेत्र’ (region of effort) कहा जाता है ।
पश्चिम यूरोपीय प्रदेश खनिज पदार्थों और बड़े-बड़े उद्योग धन्धों के लिए प्रसिद्ध है ।
8. स्टेपी जलवायु प्रदेश
स्टेपी या प्रेयरी प्रदेश उन महादेशों के भीतरी भाग में पाये जात हैं जो समुद्र के प्रभाव से दूर है। प्रेयरी-प्रदेश में गर्मी में साधारण गर्मी और जाड़े में अधिक ठण्ड पड़ती है। प्रेयरी प्रदेश में गर्मी में औसत तापमान 21 डिग्री सेंटीग्रेड के आस-पास रहता है। समुद्री प्रभाव से बहुत दूर रहने के कारण वर्षा अधिक नहीं होती है। उंत्तरी अमेरिका के प्रेयरी प्रदेश में 100 सेमी तक वर्षा होती है। उत्तरी गोलार्ड् में जाड़े में बर्फ गिरती है। वर्षा की कमी के कारण प्रेयरी प्रदेशों की प्रमुख वनस्पति घास है।
9. टेंगा तुल्य जलवायु
शीत मरुस्थल या टुण्ड्रा प्रदेश उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवों पर पाए जाते हैं। *टुण्ड्रा प्रदेश में अत्यधिक ठण्ड पड़ती है। संसार का न्यूनतम तापमान टुण्ड्रा प्रदेश में मिलता है । न्यूनतम तापमान 71 डिग्री-82 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। टुण्ड्रा प्रदेशों के कुछ भागों में सूर्य दिखायी नहीं पड़ता है । इस प्रदेश में जाड़े की ऋतु अत्यधिक लम्बी होती है । इस प्रदेश की प्रमुख वनस्पति झाड़ियां और काइयां हैं। इस प्रदेश में पाये जाने वाले बारहसिंगों का प्रमुख भोजन काइयां और झाड़ियां हैं। ग्रीनलैंड और आइसलैण्ड में कई जाति कावनस्पति शैवाल के रूप में उगती हैं। शैवाल को मनुष्य भोजन तक के रूप में प्रयोग करते हैं ।टुण्ड्रा की भूमि खेती के लिए अयोग्य है।कनाडा तथा साइबेरिया के कुछ भागों में कृत्रिम तरीके से गर्मी पहुंचा कर अन्न और सब्जी उगाने में सफलता मिली है। *टुण्डा प्रदेश के लोग ‘स्लेज’ खींचने के लिए कुत्तों का उपयोग करते हैं। दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में पेंगुइन पक्षी बहुता -यत से पाये जाते हैं। उत्तरी अमेरिका (ग्रीनलैंड) के टुण्डा निवासी ‘एस्किमो’ कहलाते हैं। यूरोप के टुण्ड्रा निवासी लैप के नाम से जाने जाते हैं। एशिया के टुण्ड्रा निवासियों को ‘सैमाइड’ कहा जाता है । टुण्ड्रा प्रदेश के निवासी सभ्यता की दौड़ में पीछे हैं। इस प्रदेश में सील तथा ह्वेल जैसे समुद्री प्राणी अधिक पाए जाते है।
*टुण्ड्रा प्रदेश के निवासी ‘खानाबदोशी’ का जीवन व्यतीत करते है। बारहसिंगे टून्ड्रा प्रदेश के निवासियों के लिए सवारी तथा आहार के काम आते हैं।
10. पस्चिमी जलवायु प्रदेश
इस प्रदेश का सबसे बड़ा विस्तार क्षेत्र पश्चिम यूरोप ही है। पश्चिम यूरोपीय प्रदेश, कृषि, वाणिज्य तथा उद्योग धन्धे आदि में बहुत अधिक विकसित है। एशिया और अफ्रीका में, पश्चिम यूरोपीय प्रदेशनहीं पाये जाते हैं।
*इस प्रदेश की जलवायु शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार के कार्यों के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। इस प्रदेश की जलवायु को ‘परिश्रम का क्षेत्र'(region of effort) कहा जाता है । पश्चिम यूरोपीय प्रदेश खनिज पदार्थों और
बड़े-बड़े उद्योग धन्धों के लिए प्रसिद्ध है ।