पादप जगत का वर्गीकरण
पादप जगत का वर्गीकरण (पुरानी पद्दत्ति के अनुसार)
पुरानी पद्दति में इचलर (Eichler,1839-1887) नामक वनस्पतिशास्त्री ने पादप जगत को दो भागों में बांटा था।
1.अपुष्पक (cryptogams ; kryptos–गुप्त यानी छिपा हुआ ,gamos-विवाह) यह वह पौधे होते है, जो न तो बीज धारण करते है और न तो स्पष्ट रूप से फूल। इसलिए cryptogams को ‘बीजरहित”(seedless) या ‘फुलरहित'(non-flowering) पौधे कहा जाता हैं। ये निम्न श्रेणी के पौधे होते हैं।
अपुष्पको (cryptogams) को तीन उप विभागों में विभक्त किया गया है।।
(क) थैलोफाइटा (thallophyta)
थैलोफाइटा को चार वर्गों में बांटा गया है।
1.शैवाल (algae) 2. कवक (fungi) 3.बैक्टेरिया (bacteria) और 4.लाइकेन (lichen)
(ख) ब्रायोफाइटा (bryophyta)
ब्रायोफाइटा को लिवरवर्ट (liverworts) और मॉस (mosses) में बांटा गया है।
(ग) टेरिडोफाइटा (pteriodophyta) यह उच्च श्रेणी के अपुष्पको (cryptogames) का एक समूह है। इन फ़र्न और उसके समरुप पौधे होते हैं। उन समूह के पौधे का शरीर पूर्णतः विकसित होता है जिन्हें स्तंभ, पत्ती और जड़ो में अच्छी तरह विभक्त किया जा सकता है। ये फूल, फल, बीज नही धारण करते हैं। ये बीजाणु (spores) के द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं। ये अपनी पत्तियाँ पर उपस्थित बीजाणुपर्ण (sporophylis) से अपनी संख्याओं में वृद्धि करते है। यह अधिकतर नम और छायादार स्थानों पर उगते हैं। इनकी लगभग 10,500 जातियाँ पायी जाती है। इसके अनेक प्रकार है।
(क) सिलोफ़ाइट (Psilophytes). यह टेरिडोफ़ाइटा वर्ग का सबसे नीची श्रेणी को उपसमूह है जिसके ज्यादा -तर पौधे खत्म हो चुके हैं और केवल फ़ॉसिल (fossils) के रूपमें पाये जाते हैं।जीवित रूप में केवल दोप्रजातियां, सिलोटम (Psilotum) और मेसीटेरिस (Tmasipteris ) मिलती हैं । इनमें सच्ची जड़ें और पत्तियां नहीं होतीं है।बेलनाकृति तना हरा तथा युग्मभुजी शाखित होता है ।
(ख) मुग्दरमॉस (Clubmosses). ये भूमि की सतह पर रेंगनेवाले पौधे हैं । आकाशीय प्ररोहों (aerial shoots) के सिरे पर बीजाणुपणों के समूह (whorls) एक संरचना बनाते हैं जिसे शंकु (cone) कहते हैं । उदाहरण-लाइकोपोडियम (Lycopodium) और सिलैंजिनेला (Selaginela)।
(ग) अश्वबार (Horsetails). इनमें भूमिके नीचे एक शाखा दौड़ती है और जिससे सीधे (direct) आकाशीय प्ररोह (aerial shoots) निकलते हैं । इन आकाशीय प्ररोहोंके सिरों पर बीजाणुपर्णोके समूह (whorls) शंकु (cone) बनाते हैं ;जैसे इक्वीसीटम (Equisatum)
(घ) फ़र्न (Ferns). इनकी नयी पत्तियां (young leaves) लिपटी (coiled) हुई होती हैं और इनके बीजाणुपर्ण अपने नीचे की सतह (under surface) पर बीजाणु (spores) धारण करते हैं । टेरिस (Pleris), ड्रायोप्टेरिस (Dryopteris)
2. सपुष्पक (phanerogams ; phaneros–
दिखाई देने वाला ,gamos-विवाह)
सपुष्पकों (phenerogams) को भी दो उप विभागों में विभक्त किया गया है।
(क) नग्नवीजी (gymnosperms) इसे दो वर्गों में बांटा गया है।
नग्नबीजी (Gymnosperms; gymnos- नंगे, sperma – बीज) . ये नंगे बीज वाले पौधे होते हैं, अर्थात् इनमें बीज, फल में ढके नहीं रहते । इन ही करीब 700 जातियां मिलती हैं। नग्नबीजी (gymnosperms) के निम्नलिखित उपसमूह हैं :
1.साइकेड (cycads) इनका तना शाखाहीन् होते है। इन पौधे की ऊँचाई अधिक नही होती हैं। सिरे पर पत्तियों का एक छत्र (crown) होता है । बीजाणुपर्ण नर और मादा शंकुओं (cones) में पैदा होते हैं जो भिन्न पौधों पर पाये जाते हैं । बीज के भ्रूण में दो बीजपत्र होते हैं, जैसे:- साइकस (Cycus )।
(ख) कॉनीफ़र (Conifers). ये लम्बे और शाखायुक्त (branched) तने वाले वृक्ष होते हैं। बीजाणुपर्ण नर और मादा शंकु पर लगे होते हैं। इनके भ्रूण में दो या अधिक बीजपत्र होते हैं। जैसे पाइनस (Pinus)।
(ख) आवृतबीजी (angiosperm) आवृतबीजी (Angiosperms ; angeion;-बन्द, spama-बीज) . ये बन्द बीजवाले पौधे होते हैं, अर्थात इनमें बीज फूल में ढके (enclosed) रहते हैं। आवतबीजी (angiosperm) यानी फूल वाले पौधे में ये सबसे उच्च श्रेणी के पौधे है। जिनमे पूर्णतः विकसित तने, पत्तियाँ, जड़ और फूल होते है।
इसे भी दो वर्गों में बांटा गया है।
1. एकबीजपत्री (monocotyledons)-इन पेड़-पौधों के बीचमें केवल एक.बीजपत्र होता है, जैसे धान, गेहूँ, बांस आदि । इनकी लगभग 65,000 जातियां हैं ।
2.द्विबीजपत्री (dicotyledons)-इन पेड़-पौधों के बीजमें दो बीजपत्र (cotyledons) होते हैं, जैसे चना, मटर, सेम आदि । इनकी लगभग 1,85,000 जातियां हैं।
आधुनिक वर्गीकरण
आधुनिक युग मे पेड़-पौधे को नई वर्गीकरण के द्वारा बांटा गया है। जिन्हें आधुनिक वर्गीकरण (Modern classification) कहा जाता है।
इन वर्गीकरण में पेड़-पौधों को कुछ समुदाय, जिन्हें फाइलम (phyla; एकवचन-phylum) में बाँटते है। पूरे पादप जगत को 25 फाइलम में विभाजित किया गया है।
इनमे प्रथम 15 फाइलम पुराने वर्गीकरण के अनुसार जिन्हें थैलोफाइटा (thallophyta) कहते है उसके अंतर्गत आने वाले पौधे है।
16 से 18 तक के फाइलम :- ब्रायोफाइटा (bryophyta) के अंतर्गत आने वाले पौधे है।
19 से 22 तक के फाइलम :- टेरिडोफाइटा (pteriodophyta) के अंतर्गत आने वाले पौधे है।
23 और 24 तक के फायलम:- नग्नबीजी(gymnosperms) के अंतर्गत आने वाले पौधे है।
25 वें फायलम :- आवृतबीजी (angiosperm के अंतर्गत आने वाले पौधे है। (Angiosperm)
Monocoty-ledons
(एकबीजपत्री)
Di-cotyledons
(द्विबीजपत्री)
इस प्रकार पूरा पादप जगत पच्चीस फायलमों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक फायलम के पेड़-पौधे में आपस मे विभिन्नताएं होती हैं। इसलिए प्रत्येक फायलम की कुछ श्रेणियाँ बनाई गई है, जिसे वर्ग (classes) कहते हैं। प्रत्येक वर्ग के अंतर्गत और छोटी श्रेणियाँ बनायी गई है, जिसे क्रम (order) कहा जाता है। क्रम (order) के अंतर्गत कुछ श्रेणियाँ बनाई गई है, जिसे कुल (families) कहते है।
प्रजाति (genus)
प्रत्येक कुल (families) में अनेकों सैकड़ो-हज़ारों किस्म के सबंधी पेड़-पौधे हो सकते हैं। इसलिए कुलों (families) को भी कई छोटे भागों में विभाजित किया जाता हैं, जिसमें प्रत्येक का नाम अलग अलग प्रजाति (genus) होता है।
जाति (species)
साधारणतः एक ही प्रजाति (genus) के के सब सदस्यों पेड़-पौधे दिखने में इतने एकसमान लगते है कि एक ही मातृ जीव की संतान दिखते है। इनके रूप और जीवन चक्र में समानता रहती है। इनके एक ही प्रजातियों में रहने के बाबजूद भी इनमें कुछ स्पष्ट अंतर होता है इसलिए एक प्रजाति (genus) के अंतर्गत आने वाले इन व्यक्तिगत किस्म के पौधे को अलग नाम दिए गए हैं, जिन्हें जाति (species) कहा जाता है। जैसे प्याज़ और लहसुन का पौधा दोनों एक प्रजाति (genus) एलियम (Allium) के सदस्य है। लेकिन इनके जाति (species) क्रमशःसीपा (cepa) और सेटाईवम (sativum) है।