दामोदर घाटी परियोजना
सिंचाई में सहायक विभिन्न साधनों का अनुपातिक योगदान भारत मे है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि प्रधान देश इस देश मे नदियों का बहुत ही अधिक महत्व है। भारत मे नदियों में प्रवाहित होने वाली सिंचाई एवं जल विधुत उत्पादन दोनों ही प्रयाप्त है। भारत की नदियों के जल ने लगभग जल शक्ति की क्षमता 60 % के आधार पर 84,000 मेगावाट है। इन लक्ष्य की पूर्ति के लिए भारत मे बहुउद्देश्यीय परियोजना का नीवं रखी गई है। इनमे दामोदर घाटी परियोजना प्रमुख है।
दामोदर घाटी परियोजना छोटानागपुर पठार के 610 मीटर ऊँची पहाड़ियों से निकलकर झारखंड में 200 किलोमीटर और पश्चिम बंगाल में 240 किलोमीटर में बहकर हुगली नदी में आकर समाहित हो जाती हैं। यह परियोजना दामोदर नदी की ऊपरी घाटी झारखंड के पलामू , हज़ारीबाग़, रांची, मानभूम तथा संथालपरगना जिलों में पाकुड़ और निचली घाटी में पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान, मिदनापुर, हावड़ा जिलों में विस्तृत है। 7 जुलाई वर्ष 1948 ई. में दामोदर घाटी निगम ने इस परियोजना के निर्माण का कार्यभार संभाला था। इससे निर्मित जलविधुत झारखंड व पश्चिम बंगाल में वितरित कर दी जाती हैं।
दामोदर घाटी परियोजना के तहत बोकारो, चंद्रपुरा व दुर्गापुर में अवस्तिथ बिजली घरों की कुल स्थापित क्षमता 1,775 मेगावाट है। तिलैया, पंचेत, व मैथन बहुउद्देश्यीय बांधों से जुड़े हुए तीन पनबिजली घर है।
वर्षा ऋतु में इस नदी की ऊपरी घाटी में अत्यधिक वर्षा होने से इसमें भयंकर बाढ़ आती है। जिसके कारण यह नदी अपने किनारों की मिट्टी को काटकर बहा कर ले जाती है। बाढ़ के वक्त यह नदी अपने जल से पुर्णतः जल आप्लावित होकर अपने किनारों से ऊपर से बहती है। और अपनी घाटी के लगभग 18,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के निवासियों जा जनजीवन को प्रवाभीत कर तबाही मचाती है। 1822 ई. से 1943 ई. के बीच इस नदी में 16 बार बाढ़ आयी थी। इसलिए दामोदर नदी को बंगाल की शोक कहा जाता है।
सम्पूर्ण दामोदर घाटी परियोजना 25,820 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है और इस पर पर 8 बांध , एक अवरोधक बांधों के पास जल विधुत उत्पादन केंद्रों के अतिरिक्त बोकारों, चंद्रपुरा तथा दुर्गापुर में तीन तापीय विधुत घर तथा लगभग 2500 किलोमीटर लंबी नहरों का निर्माण किया गया है।
इसके प्रथम चरण में तिलैया, कोनार, मैथन और पंचेत पहाड़ी पर बांध, दुर्गापुर में अवरोधक बांध , बोकारों, चंद्रपुरा और दुर्गापुर में तापीय विधुत घर का निर्माण किया गया है। 1300 किलोमीटर लंबी विधुत वितरण तार लाइन का निर्माण किया गया है।
1.तिलैया बांध :- यह बांध झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिले में कोडरमा रेलवे स्टेशन से 19 किलोमीटर दूर दामोदर की सहायक नदी बराकर नदी पर निर्मित किया गया है। यहाँ पर दामोदर नदी घाटी का पहला बिजली घर का निर्माण 1953 ई. में किया गया था। यह 350 मीटर लम्बा और 33 मीटर ऊँचा है। इसके द्वारा 75,000 हेक्टेयर भूमि सिंचित की जाती है। बांध के निकट ही 60,000 किलोवाट उत्पादन क्षमता का विधुत घर का निर्माण किया गया है। इससे हज़ारीबाग़ तथा कोडरमा के अभ्रख केन्द्रों को विशेष लाभ हुआ है।
2. मैथन बांध :- यह बांध झारखंड के धनबाद जिले में बाराकर नदी पर आसनसोल से 25 किलोमीटर उत्तर की दिशा में सन 1958 ई. में बनाया गया है। इस बांध की लंबाई 4.4 किलोमीटर और ऊँचाई 56 मीटर है। इस बांध के पास 60,000 किलोवाट क्षमता का जल विधुत घर का निर्माण किया गया है। इस विधुत-गृह से सिंदरी, चितरंजन और अन्य औद्योगिक कंपनी को बिजली की सप्लाई की जाती है। इस बांध की जल-ग्रहण की क्षमता 13,610 लाख घन मीटर है।
3. कोनार बांध :- यह बांध झारखंड के हज़ारीबाग जिले में दामोदर -कोनार के संगम से 25 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में कोनार नदी पर निर्मित है। यहाँ पर 40,000 किलोवाट क्षमता का भूमिगत जल-विद्युत गृह भी बना हुआ है। इस बांध की लंबाई 3.5 किलोमीटर और ऊँचाई 49 मीटर है। यही से बोकारो तापीय विधुत केंद्र की जल की प्राप्ति होती है।
4. पंचेत बांध :- झारखंड के धनबाद जिले और पश्चिमी बंगाल के पुरुलिया जिले की सीमा पर दामोदर-बाराकर नदी के संगम स्थल से 5 किलोमीटर पूर्व में, 1497 लाख घनमीटर जल संग्रहण की क्षमता का 2,250 मीटर लंबा और 45 मीटर ऊंचा बांध का निर्माण 1959 ई. में किया गया है।