कश्मीर के प्रमुख झील
कश्मीर, इस पृथ्वी पर एक बहुत ही अनोखा और खूबसूरत स्थान है। कश्मीर की खूबसूरती पर चार चांद इनकी पहाड़ियाँ, नदियाँ और झील लगाती है।
वुलर झील
यह झील जम्मू-कश्मीर राज्य के बांडीपोरा जिले में कश्मीर की सबसे बड़ी झील झेलम नदी से लगभग 1578 मीटर की ऊँचाई पर स्तिथ है। यह 15 किलोमीटर लम्बी,10 किलोमीटर चौड़ी और उत्तर-पूर्व की ओर 5 मीटर गहरी है। झील का आकार विस्तृत होने के वजह से दोपहर तक इसमे बड़ी-बड़ी लहरे उठती है। वुलर झील की मिट्टी इसमे भरती जा रही है। सजे चारों तरफ चाँद के आकार में पहाड़ फैले हुए हैं। झील के उत्तरी किनारे ओर कई छोटे-छोटे गाँव भी बसे हुए हैं। इसमे जल झेलम नदी से आती है। इस झील का पुराना और असली नाम महापदमा सार है। यह झील प्रिसिद्ध नाल सरोवर पंछी अभ्यारण के निकट है। वुलर शब्द संस्कृत के “उल्लोल” से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘ ऊंचे लहरों वाली झील।
डल झील
श्रीनगर से पूर्व की स्तिथ डल झील 8 किलोमीटर लम्बी और 3 किलोमीटर चौड़ी है। कुछ जगहों ओर दलदल होने के कारण यह कम गहरी है। इस झील के तीन तरफ 900 से 1,200 मीटर ऊँचे पर्वत है। वुलर झील के तरह ही इसके तट पर गाँव और उपवन बने हुए हैं, जिसमे अनेक फलों के बाग है। यहाँ के शालीमार और निशांत बाग विशेष रूप से आकर्षक है।
मानसबल झील
पृथ्वी की सबसे चमत्कारी रचनाओं में एक है मानसबल झील। यह श्रीनगर से 30 किलोमीटर की दूरी पर अवस्तिथ है। मानसबल झील के सबसे अधिक आकर्षक चीज़ इसके खूबसूरत जल में खिलने वाले सूंदर कमल के फूल है। इसकी लंबाई 5 किलोमीटर और चौड़ाई 1 किलोमीटर में है। इस झील की किनारे मुगक काल मे नुरजहाँ के द्वारा निर्मित एक मुगल गार्डन भी है। नूरजहाँ मुगल गार्डन के झरोखे से झील का दर्शन किया करती थी। अधिकतम गहराई के कारण यह झील कश्मीर की सबसे गहरी झील मानी जाती है।
शेषनाग झील
यह झील पहलगाम से 23 किलोमीटर की दूरी ओर अमरनाथ गुफा जाने के मार्ग में पड़ता है। झील की लंबाई 1.1 किलोमीटर और चौड़ाई 1.7 किलोमीटर है। यह झील चारों तरफ से सात पहाड़ियों से घिरी हुई है। पौरणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव , माता पार्वती को अमरकथा सुनाने अमरनाथ गुफा में ले जा रहे थे तब उस वक्त भगवान शिव ने असंख्यों नागों-सर्पो को शेषनाग झील में, नंदी को पहलगाम में और चन्द्रमा को चदरबाड़ी नामक स्थान पर छोड़ दिया था। भगवान शिव का मानना था कि जब कोई अमरकथा को सुन लेगा तो तो वो भी अमर हो जाता है। कभी कभी शेषनाग इस झील से बाहर निकल कर दर्शन देते है। जो मनुष्य उनका दर्शन कर लेता है वह बहुत भाग्यशाली रहेगा।